मप्र के मुरैना जिले में किसानों का सफल प्रयोग, एक बीघा में हो रही पांच गुना अधिक कमाई
मुरैना।
चंबल का नाम आते ही लोगों को बीहड़ की याद आती है। चारों तरफ रेतीली मिट्टी के टीले। ऐसे में अगर कोई कहे कि चंबल की बीहड़ में मुसम्मी (मौसंबी भी कही जाती है) की फसल किसानों का आर्थिक स्वास्थ्य सुधार रही है, तो सहसा आपको विश्वास नहीं होगा, लेकिन यह सच है। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में फलों की खेती एक चुनौती है, लेकिन जौरा तहसील के चैना गांव के किसानों ने इस चुनौती को पार कर दिखाया है। किसानों ने बीहड़ों को समतल किया, जिनमें वर्षों से बाजरा, गेहूं या सरसों की फसल होती रही। अधिक लाभ नहीं हुआ तो परंपरागत खेती के अलावा अन्य फसलों में हाथ अजमाने की सोची। एक किसान ने हिम्मत की और अब इस गांव में मुसम्मी के बाग लहलहा रहे हैं। आरहा जीवन में बदलाव : जब किसानों को पांच गुना लाभ हुआ तो हर साल यहां मुसम्मी उगाने वाले किसानों की संख्या और खेती का रकबा बढ़ रहा है। आस-पड़ोस के गांवों में भी किसान इसे अपना रहे हैं। चैना गांव की मुसम्मी ग्वालियर-आगरा, दिल्ली तक बिक रही है। मुसम्मी की कमाई से अब इस गांव के किसानों के जीवन स्तर में संतोषजनक बदलाव आ रहा है। नागपुर से लाते हैं पौधे : गांव में 27 से ज्यादा किसानों ने लगभग 95 बीघा जमीन को मुसम्मी के बागों में परिवर्तित कर दिया है। यहां के किसान महाराष्ट्र के नागपुर से 35 रुपये प्रति के हिसाब से पौधे लाते हैं। पहले ही साल में पौधों से मुसम्मी आना शुरु हो जाती है। उद्यानिकी जानकारों के अनुसार सामान्य काली, रेतीली मिट्टी मुसम्मी की फसल के लिए उपयुक्त होती है। इसलिए बढ़ रहा रुझान : एक बीघा में गेहूं, सरसों या बाजरा की फसल करने पर किसानों को 12 से 14 हजार रुपये बचते हैं, जबकि एक बीघा मुसम्मी से एक साल में सभी खर्चे काटकर 1.25 लाख से 1.30 लाख रुपये तक की आमदनी होती है। पौधा पांच से छह साल तक अच्छी पैदावार देता है। ताजा होने से दाम अच्छा मिला : इन किसानों से मुसम्मी खरीदने वाले आगरा के थोक फल व्यापारी विजय कुमार बताते हैं कि महाराष्ट्र व आंध्र प्रदेश से आनेवाले मुसम्मी सात से दस दिन पहले टूटी हेाती है। जबकि मुरैना की मुसम्मी एक या दो दिन पहले टूटकर आती है। मुरैना की मुसम्मी में नागपुर की मुसम्मी जैसी मिठास है, इसलिए मांग बढ़ रही है। किसान ही मुसम्मी लेकर आते हैं जिससे उन्हें मंडी में दाम भी अच्छा मिल जाता है।