लेखक के नाम पर गायक ने बनाया गीत

बागेश्वर। धरमघर में रंगीली नाकुरी क्षेत्र के पचार गांव के निवासी एक कुमाउनी गीत लेखक पर उसके गीत गाने वाले ने ही उसी के नाम का गीत बना डाला है। जी रया भूपाल दा गीत पूरे कुमाऊं में धूम मचा रहा है। भूपाल सिराला बहुत ही गरीब से ताल्लुक रखते हैं। रोजी-रोटी के लिए वह छोटी सी उम्र में दिल्ली चले गए, लेकिन कला में महारथ भूपाल को उसके गीतों ने अलग पहचान दिला दी है। पिछले चार-पांच साल से वह उत्तराखंड संस्कृति के लिए कुमाउनी में गीत लिखने का कार्य कर रहे हैं। भूपाल ने बताया कि अब तक वह नौ पाटे घाघर हराई, आंस ऊनी प्रदेश जाणंमे, छोड़ी दे भूमि जिन्स टॉप, मेरी नौली पराणा, रौतेली डॉना ग्वाल आ रुलो़, बेद भरि जिंदगी, गढ़वाल कुमाऊं ढोल दमाऊ, राखी को त्यार, पहाड़े याद, बुरांशी फूल फूलिया त्यार, हमरि जन्म भूमि, घास काटण छोड़ी बै, कुमाऊं की भर्ती पहाड़ी त्वेमे गर्व छू, हिमा लागि रौ झसक आदि गीत लिख चुके हैं। तीन मार्च को उनके गीतों को गाने वाले अल्मोड़ा निवासी भागवत कुमार ने उनके नाम पर ही गीत बनाकर उन्हें भेंट किया है। गीत के बोल हैं भूपाल दा जी रया। भूपाल सिराला ने सिर्फ पचार का नहीं पूरे रंगीली नाकुरी क्षेत्र का नाम ऊंचा किया है।

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