पौधोें की स्वतः सिंचाई उपकरण का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन
लखनऊ,
सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश में सहायक अभियंता हेमन्त कुमार ने कंट्रोल्ड वाटर एंड एयर डिस्पेंसर फॉर इनडोर एंड आउटडोर प्लांट नामक आविष्कार किया है। भारत सरकार के बौद्धिक सम्पदा केंद्र से इस आविष्कार को पेटेंट भी मिल गया है। हेमंत कुमार ने इस आविष्कार के वर्किंग माडल का पहला सार्वजानिक प्रदर्शन परिकल्प भवन तेलीबाग में सूचना संगठन प्रणाली के मुख्य अभियंता कृष्ण कुमार, अधीक्षण अभियंता नीरज कुमार, अधिशासी अभियंता देवेन्द्र कुमार ठाकुर, सहायक अभियंता पवन कुमार व विजय कुमार रावत, तथा प्रसून वर्मा, कुलदीप वर्मा, दिवाकर पाण्डेय, आशीष कुमार, कुलभूषण पाण्डेय, विभु श्रीवास्तव, अनीता मंडल प्रकाश श्रीवास्तव आदि लोगों के समक्ष किया। हेमन्त कुमार ने बताया की वे अब इस उपकरण को सर्व सुलभ कराने की योजना पर कार्य कर रहे है। मुख्य अभियंता कृष्ण कुमार ने हेमंत कुमार के शोध और रचनात्मक कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्हें प्रशस्ति पत्र दे कर सम्मानित किया और कहा कि वे इनके कार्यों को ऊपर तक अवगत कराएँगे तथा इस प्रकार के जनोपयोगी शोध तथा रचनात्मक कार्य करने वाले कार्मिकों को प्रोत्साहित करेंगे। कार्यक्रम का आयोजन और संचालन सुशील कुमार ने किया।
प्रदर्षन के दौरान हेमन्त कुमार ने बताया कि यह एक उपकरण है जो पौधे की महीनों तक स्वतः सिंचाई कर सकता है। उपकरण में पानी स्टोर करने की टंकी लगी हैं, जिसमें पानी हाथ से भरा जाता है। आयु, किस्म तथा मौसम के अनुसार पौधे की जरुरत के मुताबिक भेजे जाने वाली पानी की मात्रा उपकरण में लगे नाब द्वारा सेट कर दी जाती है। इसके बाद पानी की तय मात्रा को उपकरण खुद ब खुद पौधों तक पहुँचता रहता है। यह उपकरण एक सप्ताह में पानी को 50 मिलीलीटर से लेकर एक लीटर तक पौधों की जड़ क्षेत्र में भेज सकता है। यह गमले और जमीन में लगे पाँच-छः फीट तक ऊँचाई के पौधों के लिये बनाया गया है।इस उपकरण को एक लीटर से लेकर कितनी भी क्षमता का बनाया जा सकता है। बड़ी टंकी से युक्त यह उपकरण एक बार पानी से भरे जाने के बाद सामान्य पौधे की एक से दो महीने तक सिंचाई कर सकता है। इसलिये जो लोग 15-20 दिन या महीने के लिये बाहर जाने के कारण सिंचाई नहीं कर पाते उनके लिये यह बहुत फायदेमंद होगा। पहाड़ों या दुर्गम क्षेत्रों में जहाँ नव रोपित पौधों की सिंचाई के लिये बार बार जाना मुश्किल होता है वहाँ के लिये भी यह उपयोगी है। इस उपकरण से पानी सीधे पौधे के जड़ क्षेत्र में पहुँचता है। इस खासियत के चलते लगभग 20 से 30 प्रतिशत पानी भी बचेगा। रेगिस्तानी इलाकों के लिये यह बहुत उपयोगी होगा। इसमें पानी हर समय जड़ों में नहीं पहुँचता बल्कि बीच बीच में रुकता भी है जिससे लगातार पानी के संपर्क में रहने से गल जाने वाली जड़ों के पौधे इसके प्रयोग से नहीं मरते। उपकरण को बिजली या सेल या अन्य किसी बाहरी उर्जा की जरूरत नहीं पड़ती। ऑटोमेशन के लिये पानी की स्थैतिक उर्जा (स्टेटिक एनर्जी) का प्रयोग किया गया है।ज्ञात हो कि हेमंत कुमार जनपद बिजनौर के ग्राम फीना के रहने वाले हैं और बाढ़ प्रबंधन सूचना प्रणाली केंद्र परिकल्प भवन में सेवारत हैं। ये कई ओर शोध एवं आविष्कारों पर भी कार्य कर रहे हैं। इसी वर्ष उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने हेमंत कुमार की पुस्तक विविध प्रकार के भवनों का परिचय एवं नक्शे को प्रविधिध्तकनीकी वर्ग में पूरे प्रदेश में प्रथम आने पर संपूर्णनानन्द नामित पुरस्कार और पिचहत्तर हजार की धनराशि भेंट की गयी थी।