कृत्रिम गर्भाधान के प्रशिक्षार्थियों को प्रमाण पत्र देते कुलपति डाॅ. बिजेन्द्र सिंह
अयोध्या
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज के पशु चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा 30 दिवसीय मैत्री प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम चरण का समापन शुक्रवार को पशु चिकित्सा महाविद्यालय के प्रेक्षागृह में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह द्वारा दीप प्रज्वलित कर एवं मां सरस्वती के प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया ।
इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि आज भारतवर्ष आत्मनिर्भर बनने के लिए अग्रसर हो चुका है, अपने देश में पशुओं की बढ़ती जनसंख्या के अनुसार पशु डाक्टरों एवं विशेषज्ञों की संख्या बहुत ही कम है , इस प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षित तकनीशियन इस समस्या को काफी हद तक दूर कर सकेंगे, क्यों कि आज अपने भारतवर्ष में अनाज के बाद सबसे ज्यादा आमदनी बीफ से ही होती है, जिसे सुरक्षित रखने की आवश्यकता है । उन्होंने बताया कि पूर्व से ही हमारी परंपरा है कि हम जब आपस में मिलते हैं तो सबसे पहले खेती ,बाग- बगीचा ,पशु के बारे में पूछने के बाद ही परिजनों के बारे में पूछते हैं,तो हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है कि बेजुबान पशुओं की देख रेख बड़ी ही गंभीरता से करना होगा।परियोजना के नोडल अधिकारी डॉक्टर भूपेंद्र सिंह ने बताया कि भारत सरकार द्वारा कृत्रिम गर्भाधान के आच्छादन को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत मैत्री योजना लागू किया गया है। इस योजना के अंतर्गत दसवीं पास विज्ञान विषय से उत्तीर्ण आवेदकों को कृत्रिम गर्भाधान का प्रशिक्षण देने की योजना है। यह कार्य भारत सरकार विभिन्न प्रदेशों के पशुधन विकास परिषद के माध्यम से संपन्न करा रही है। मैत्री प्रशिक्षण के लिए उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद द्वारा पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय कुमारगंज एवं मेरठ, पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, मथुरा एवं छह अन्य संस्थाओं का चयन किया गया है। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के अंतर्गत पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय के पशु मादा रोग एवं प्रसूति विज्ञान विभाग में 30 प्रशिक्षणार्थियों हेतु 30 दिवसीय मैत्री प्रशिक्षण के प्रथम बैच का आयोजन 1 से 30 मार्च 2021को किया गया था। प्रशिक्षण के दौरान कुल 79 कक्षाएं आयोजित की गई जिसमें 70 लेक्चर एवं 19 प्रायोगिक परीक्षाएं थी। 30 दिन के प्रशिक्षण के बाद सभी प्रशिक्षणार्थी अपने से संबंधित पशु चिकित्सालय या कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों से संबद्ध होकर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किए , तदुपरांत 55 दिनों के बाद सभी प्रशिक्षणार्थियों को पुनः 5 दिनों के लिए प्रशिक्षण संस्थानों में बुलाया गया , जहां उनकी परीक्षा हुई और उत्तीर्ण होने के पश्चात उनको प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। इस प्रकार से सभी प्रशिक्षित प्रशिक्षणार्थी स्वतंत्र रूप से कृत्रिम गर्भाधान का कार्य करके आत्मनिर्भर बन जाएंगे। कृत्रिम गर्भाधान का आच्छादन बढ़ने के फलस्वरूप गर्भित पशुओं की संख्या में वृद्धि होगी और दूध उत्पादन भी बढ़ जाएगा। इस प्रकार भारत की जीडीपी में बढ़ोतरी भी होगी। प्रथम चरण के प्रशिक्षण में 29 प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। पशु चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता ने प्रशिक्षणार्थियों को शांति पूर्वक प्रशिक्षण लेने हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया और कृत्रिम गर्भाधान अच्छे से करने के लिए सलाह दिया। मीडिया प्रभारी डॉ अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि इस अवसर पर कृषि अधिष्ठाता ,उद्यान अधिष्ठाता , अपर निदेशक ग्रेड 2 अयोध्या मंडल , निदेशक प्रसार, कुलसचिव, निदेशक प्रशासन एवं परिवीक्षण डॉक्टर, प्रशासनिक अधिकारी, सामुदायिक महाविद्यालय की अधिष्ठाता, विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी एवं पशु चिकित्सा महाविद्यालय के वैज्ञानिक, शिक्षक ,छात्र गण आदि उपस्थित थे।