भिलाला आदिवासी तय करेंगे जोबट से विधायक कौन होगा?

जोबट।

जोबट विधानसभा उपचुनाव अब रोचक मोड़ पर आ गया है। इस सीट पर अब मुख्य मुकाबला जोबट के रावत परिवार की बहू सुलोचना रावत और अलीराजपुर के पटेल परिवार के महेश के बीच होगा। इस सीट पर भिलाला आदिवासी तय करेंगे कि जोबट से विधायक कौन बनेगा? यही वजह है कि दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार इस समुदाय के चुनाव मैछान में उतारे हैं। उपचुनाव की घोषणा के बाद कांग्रेस छोड़कर आई सुलोचना रावत के भाजपा ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा से पहले कांग्रेस ने अलीराजपुर जिला अध्यक्ष महेश पटेल को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। सुलोचना के ससुर स्वर्गीय अजबसिंह रावत जोबट के दिग्गज राजनेता रहे हैं, वहीं महेश पटेल के पिता स्वर्गीय वेस्ता पटेल अलीराजपुर कीराजनीति के यानी जोबट की जनता के बीच अब दो राजनीतिक परिवारों के नुमाइंदे चुनावी मैदान में हैं। जोबट विधानसभा सीट अलीराजपुर जिले में आती है, इस सीट पर 97 प्रतिशत आदिवासी वोटर हैं। भील, भिलाला और पटलिया समुदाय के वोटर हैं। पूर्व कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। कांग्रेस ने तीन बार के विधायक रही सुलोचना रावत – सुलोचना रावत कांग्रेस से वर्ष 1996, 1998 और 2008 में विधायक रह चुकी हैं। इस दौरान एक बार वे राज्यमंत्री भी रहीं। वर्ष 2013 में कांग्रेस से उनके बेटे विशाल रावत ने चुनाव लड़ा था, लेकिन वे चुनाव हार गए थे। विशाल को 2018ने पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे। इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। जोबट में कांग्रेस ने जिला अध्यक्ष महेश पटेल पर भरोसा जताया है। महेश पटेल के पिता वेस्ता पटेल भी कांग्रेस के विधायक रहे हैं। उकने भाई मुकेश पटेल फिलहाल अलीराजपुर से विधायक हैं। इसके पहले महेश पटेल ने अलीराजपुर सीट से विधायक का चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा के नागर सिंह चौहान से चुनाव हार गए थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महेश पटेल के बजाय उनके भाई मुकेा पटेल को टिकट दिया और वह अलीराजपुर सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने। जोबट सीट मध्यप्रदेश राज्य बनने के बाद से ही विधानसभा का हिस्सा है। वर्ष 1951 में पहली बार चुनाव हुए थे, तब सोशलिस्ट पार्टी के प्रेमसिंह ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद एक नवम्बर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य के गठन के बाद 1957 से अब तक यहां 14 बार विधानसभा चुनाव हुए। जिसमें कांग्रेस ने 11 बार जीत दर्ज की। जबकि भाजपा ने दो बार और सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार ने 1962 के विधानसभा चुनाव में एकमात्र जीत दर्ज की थी। इन नतीजों को देख कर साफ है कि इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा है, लेकिन पिछले चार चुनावों की बात करें तो कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही दो-दो बार जीत दर्ज की। ऐसे में दोनों ही पार्टी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर भिलाला जाति के वोटर्स का दबदबा रहा है। भिलाला वोटर ही इस सअभ् पर जीत में अहम भूमिका निभा सकते हैँ।

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