कार्तिक पूर्णिमा पर गोवर्धन में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

मथुरा।

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है.प्रत्येक वर्ष 12 पूर्णिमाएं होती हैं.जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 13 हो जाती है.कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है. इस पुर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे.इसी दौरान शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मथुरा सहित दूरदराज से आये दम्पतियों ने दूध धारा के साथ गिरिराज प्रभु की परिक्रमा की। वही कार्तिक पूर्णिमा के उपलक्ष्य में गिरिराज जी पर अभिषेक, दूध की धारा के साथ परिक्रमा, फूल बंगला दर्शन, भजन संध्या एवं भंडारे के आयोजन हुए। वही मथुरा से परिवार सहित आई रुक्मणी पचौरी ने दूध की धारा के साथ आन्यौर, पूंछरी, राधाकुंड, मानसी गंगा होकर संकीर्तन के बीच परिक्रमा लगाई. इस दौरान रुक्मणी ने बताया कि उन्हें यहां पर परिक्रमा देकर बहुत ही अच्छा लग रहा है और वह पहली बार परिक्रमा करने परिवार के साथ आई हैं।

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