अखाड़ा परिषद ने की जनरल बिपिन रावत की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना
हरिद्वार।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के संयोजन में संत समाज ने कनखल स्थित दक्ष घाट पर गंगा पूजन व पौराणिक दक्ष मंदिर में भगवान शिव का दुग्धाभिषेक कर सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नि मधुलिका रावत सहित हैलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए सभी सैन्य अधिकारियों की आत्मा की शांति व उनके परिजनों को इस दुख को सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की। इस दौरान अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि सीडीएस बिपिन रावत उनकी पत्नि मधुलिका रावत सहित कई सैन्य अधिकारियों के आकस्मिक निधन से देश को गहरा आघात लगा है। नेतृत्व क्षमता के धनी व कुशल सैन्य रणनीतिकार बिपिन रावत कर्मठ साहसी एवं कार्य कुशल अधिकारी थे। देश की शान सीडीएस बिपिन रावत के नेतृत्व में सेना का मनोबल हमेशा ऊंचा रहा और चीन पाकिस्तान जैसे देशों की घुसपैठ को रोकने में भारत कामयाब रहा और हर चुनौती का मुंह तोड़ जवाब दुश्मनों को दिया गया। दुनिया के सभी देश जनरल बिपिन रावत की रणनीति का लोहा मानते थे। ऐसे महान वीर सैनिक का आकस्मिक निधन बेहद दुखदाई है। उनके निधन से देश व सेना को अपूर्णीय क्षति हुई है। देश की सुरक्षा को मजबूत करने में उनका योगदान सभी को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। बाबा हठयोगी दिगंबर महाराज ने कहा कि साहस की अदम्य प्रतिमूर्ति सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने अपना पूरा जीवन देश की रक्षा के लिए समर्पित किया। उनके आकस्मिक निधन से समस्त समाज को एक अपूरणीय क्षति हुई है। जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। भगवान शिव मोक्ष के देवता हैं। जो सभी सैन्य अधिकारियों को अपने चरणों में स्थान देकर उन्हें मोक्ष प्रदान करें। संत समाज भगवान शिव से ऐसी कामना करता है। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि वीर सैनिक अपने साहस के बल पर दिन रात दुश्मनों से देश की रक्षा करते हैं और देश की सुरक्षा के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों को भी न्यौछावर कर देते हैं। ऐसे वीर सैनिकों को संत समाज नमन करता है और भगवान से प्रार्थना करता है कि पूरे देश में सीडीएस बिपिन रावत जैसे साहसी अधिकारी प्रत्येक घर में जन्म ले और देश की रक्षा सुरक्षा को आगे आएं। सीडीएस बिपिन रावत ने भारत की सैन्य तैयारियों को दुश्मनों से मुकाबले के लिए नई बुलंदियों पर पहुंचाया और दुश्मन की हर घुसपैठ का मुंह तोड़ जवाब दिया। देश के इतिहास में उनका नाम सदैव स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। इस अवसर पर महंत रघुवीर दास, महंत सूरजदास, महंत बिहारी शरण, महंत गोविंद दास, महंत हरिदास मालाधारी, महंत अंकित शरण, श्रीमहंत सत्यम गिरी, महंत अमनदीप सिंह, संत हरजोत सिंह, संत तलविंदर सिंह आदि संतजन मौजूद रहे।