जंगली जानवरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग
रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली सूअर, बंदर और अन्य जंगली जानवरों का लगातार आतंक बना है। कई गांव में जंगली सूअर किसानों की तैयार फसल को बर्बाद कर रहे हैं। ग्रामीणों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए सरकार, प्रशासन और वन विभाग से शीघ्र जंगली जानवरों पर अंकुश लगाने की मांग की है। साथ ही कहा कि जो पार्टी अपने घोषणापत्र में इनके निराकरण की जिम्मेदारी लेगी उसका पुरजोर समर्थन किया जाएगा। तल्लानागपुर क्षेत्र के इंद्रनगर कुरझण निवासी सामाजिक कार्यकर्ता मोतीराम पुरोहित ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संपूर्ण उत्तराखंड में स्वरोजगार योजना प्रारंभ कर यहां के इलाकों में लोगों को रोजगार देने की बात कर रहे हैं, वही जंगली जानवर स्वरोजगार के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को निराशा मिल रही है। कहा कि उन्होंने प्रथम मजदूरी लगाकर आम, अमरूद, पपीता के पेड़ लगाए। 5 साल तक पेड़ों की रक्षा की। इन पेड़ों पर कई कुंतल फल लगे और पकने के समय बंदर एवं लंगूर आकर सारी फसल को नष्ट कर रहे हैं। कहा कि उन्होंने स्वयं अपनी नाप जमीन में मजदूरी लगाकर 40 किलो आलू, 20 किलो अरबी तथा तेडू की फसल तैयार की किंतु रात में सभी खेतों को सूअरों ने उजाड़ दिया। उनकी सारी योजना निष्फल हो गई। वहां फिर कोई चीज नहीं जम रही है। बीती रात सूअरों ने उनकी गोशाला और सीवर पिट तोड़ दिया। इससे उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ा। बरसात में भी लोगों की सारी फसल धान, झंगोरा, मंडवा, दाल आदि जंगली जानवर खत्म कर रहे हैं। यहीं कारण है कि लोग गांवों से पलायन करने को मजबूर हैं। कहा कि किसान सारे साल खेतों में मेहनत कर रहे हैं किंतु ऐन वक्त पर उनकी मेहनत को सूअर और बंदर खत्म कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ी लोगों ने सरकार से कई बार अनुरोध किया किंतु आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार को अपने वोट बैंक के सिवा कोई फुर्सत नहीं है। कहा कि पहाड़ में लोगों को परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है, यहां के लोग खेती पर आश्रित हैं किंतु उनके भविष्य की किसी को चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव होने वाला है जो सरकार पार्टी अपने चुनाव घोषणा पत्र में सूअर और बंदरों के आतंक को खत्म करने की घोषणा करेगी उसे अपना समर्थन दिया जाएगा।