युवाओं ने होलिस्टिक हेल्थ के अनुभव जाने
ऋषिकेश। वाई-20 सम्मेलन में पहले दिन होलिस्टिक हेल्थ कॉन्क्लेव कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट व्यक्तियों ने अपने विचार रखे। कॉन्क्लेव में उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों से पहुंचे युवाओं सहित देश विदेश के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। गुरुवार को एम्स में आयोजित यूथ-20 समिट में पहले दिन पहले सत्र में एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने कहा कि इस समिट से देश और दुनिया भर के युवाओं को स्वास्थ्य क्षेत्र में स्वयं को सुदृढ़ करने का अवसर मिला है। इससे युवाओं को होलिस्टिक हेल्थ का अनुभव हासिल होगा। रामकृष्ण मिशन अस्पताल हरिद्वार के चिकित्सा अधीक्षक स्वामी दयादिपानन्द महाराज ने विश्व के युवाओं को न केवल शारीरिक तौर से अपितु मानसिक तौर से भी स्वस्थ रहने की जरूरत बतायी। कहा जीवन के लिए चार स्तम्भ महत्वपूर्ण हैं। सही ज्ञान, सही सोच, सही जीवन शैली और उपयुक्त खान-पान के सिद्धान्त को जीवन में अपनाने की बात कही। कहा कि यह तरीका जीवन को स्वस्थ रखने का मूल मन्त्र है। उन्होंने अष्टांग योगा और प्रैक्टिकल वेदान्ता के बारे में भी बताया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द महाराज ने युवाओं को जंग फूड से बचने की सलाह देते हुए ईट राइट, ईट लाइट का सरल सिद्धान्त अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के विकास में वहां के युवा वर्ग का सर्वाधिक योगदान रहता है। इसलिए जरूरी है कि मेडिकेशन के बजाय वह मेडिटेशन पर ज्यादा ध्यान दें। निदेशक युवा व खेल विभाग जितेन्द्र कुमार ने युवाओं को उर्जा का स्रोत बताते हुए कहा कि युवा वर्ग यदि अपनी सम्पूर्ण शक्ति को केन्द्रित कर लें तो वह असम्भव को सम्भव बना सकते हैं। दूसरे सत्र में मार्डन मेडिसिन और अल्टरनेटिव मेडिसिन एवं योगा विषय पर एम्स ऋषिकेश और वीर सिंह गढ़वाली मेडिकल कॉलेज श्रीनगर गढ़वाल के युवा छात्रों के बीच डिबेट का आयोजन किया गया। इसमें दोनों पक्षों ने मार्डन और अल्टरनेटिव मेडिसिन पर गहनता से चर्चा की। इसका निष्कर्ष निकला कि इलाज की दोनों पद्धतियां अपने-अपने रूप में उपयोगी हैं और इन दोनों का इस्तेमाल करने से ज्यादा लाभ मिल सकेगा। जापान के एजविल कारपोरेशन के सीईओ कियोहीरो यामामोटो ने युवाओं को घर के अन्दर के वातावरण का स्वास्थ्य पर असर विषय पर विचार रखे। कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का 90 प्रतिशत से अधिक समय अपने घर के भीतर ही बीतता है। इस कारण घर के भीतर के वातावरण का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। इसके तहत घर में पर्याप्त प्रकाश, स्वच्छ हवा, संतुलित तापमान का होना जरूरी है। यह वातावरण ही उस घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य को निर्धारित करता है। घर के भीतर के खराब वातावरण के दुष्प्रभाव की वजह से व्यक्ति बीमार होता है। इसलिए आवासीय परिसरों में स्मार्ट बिल्डिंग तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। समिट में नेशनल मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष प्रो बीएन गंगाधर, पीजीआईईएमआर चण्डीगढ़ के पूर्व निदेशक प्रो. केके तलवार, एम्स मंगलागिरी के निदेशक प्रो. मुकेश त्रिपाठी, उपनिदेशक प्रशासन एम्स ले. कर्नल एआर मुखर्जी, डीन एकेडेमिक्स प्रो. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल सहित संस्थान के विभिन्न विभागों के संकायगणों सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।