हरकी पौड़ी पर दुग्धाभिषेक करते हुए पूजा अर्चना कर दूध की खेली होली

हरिद्वार
तीर्थनगरी हरिद्वार में 114 वां श्री मुलतान जोत महोत्सव बहुत धूमधाम से मनाया गया। हरकी पौड़ी पर श्री मुलतान जोत महोत्सव में शामिल हुए भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में दुग्धााभिषेक करते हुए पूजा अर्चना करते हुए दूधा की होली खेली गयी। श्री मुलतान जोत सभा के अध्यक्ष ओमप्रकाश अरोड़ा, अखिल भारतीय मुल्तान संगठन के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नागपाल (पूर्व विधायक) ने संयुक्त रूप से बताया कि हरिद्वार नगरी को पूरी तरह से सजाया गया था। प्रकाश व्यवस्था, आतिशबाजी, पुष्प वर्षा शोभा यात्र के मार्ग में धूम मची रही, शहर भर में बड़े-बड़े तोरण द्वार लगाये गये थे। बिजली की नयी तकनीक अपनाते हुए जोत बनाई गई थी, शहर के अलग-अलग जगह पर शोभा यात्र का स्वागत किया गया। श्रद्वालुओं ने छोटी-छोटी जोतें गंगा मैया में प्रवाहित कर मनोकामनाएं पूर्ण होने का विश्वास अर्जित किया। महिलाओं ने सत्संग व श्रद्वालुओं ने जगह-जगह हवन और सुंदर कांड का पाठ करते हुए प्रसाद वितरित किया गया। गंगा जी का दुग्ध अभिषेक व पूजा अर्चना करते हुए भक्तजनों ने विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित की, और पिचकारियों में दूध भर कर श्रद्वालुओं ने होली खेली आपस में गुलाल लगया। देश भर से हर समाज के लोग इस विशाल एवं भव्य आयोजन में सम्मिलित हुए और हिन्दुत्व के संगम का दृश्य प्रस्तुत किया। सांस्कृतिक एवं धार्मिक दृष्टि से लोग गंगा मैया का स्नान कर आर्शीवाद प्राप्त करके फलीभूत होते हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष जोत महोत्सव में मुख्य अतिथि के रुप में विरेन्द्र सचदेवा (अध्यक्ष, भाजपा दिल्ली प्रदेश), सांसद योगेन्द्र चन्दोलिया, सांसद कमलजीत सेहरावत, सांसद प्रवीण खण्डेलवाल, हरिद्वार नगर विधायक मदन कौशिक, श्याम शर्मा (पूर्व महापौर), योगेश वर्मा (निगम पार्षद), लता सोढ़ी (पूर्व निगम पार्षद), अरविन्द अरोड़ा (कलाकार अमित), संजय तलवार (कलाकार बाबा), संजय मधुकर (कलाकार सन्नी), मो. जिशान (कलाकार कोहली) आदि ने भाग लिया। डॉ. नागपाल ने बताया कि श्री मुलतान जोत महोत्सव का आयोजन वर्ष 1911 में भक्त रूप चन्द द्वारा पाकिस्तान में बसे मुलतान से पैदल चल कर समाज के भाईचारे एवं शांति की कामना को लेकर हरिद्वार में गंगा मैया को ज्योति अर्पित की थी। परम्परानुसार प्रति वर्ष इसे बड़े पैमाने पर एवं भव्य रूप से मनाया जा रहा है। श्रद्धालुगणों का मानना है कि मनोकामना पूर्ण होने के कारण प्रत्येक वर्ष इस पर्व की महत्ता बढ़ने लगी है, प्रत्येक वर्ष भक्तजनों की बढ़ती संख्या इसका बहुत बड़ा प्रमाण है।

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