वजोत सिंह सिद्धू ने वापस लिया इस्तीफा, बताया फिर कब बनेंगे पंजाब कांग्रेस के कैप्टन
चंडीगढ़
नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से दिया गया अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। शुक्रवार को चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह ऐलान करते हुए सिद्धू ने कहा कि नए अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति के बाद वह कमान संभालेंगे। सिद्धू ने यह भी कहा कि हर पंजाबी के हित को ध्यान में रखकर उन्होंने इस्तीफा दिया था। उन्होंने चन्नी से मतभेद से इनकार किया।
कैप्टन अमरिंदर सिंह से लंबे समय तक टकराव के बाद पंजाब कांग्रेस के ‘कप्तान’ बनाए गए नवजोत सिंह सिद्धू ने नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से कुछ नियुक्तियों पर मतभेद के बाद इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू ने कहा, ”नए अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति के बाद मैं पदभार संभालूंगा। यह (इस्तीफा) व्यक्तिगत अहं का मुद्दा नहीं था, बल्कि हर पंजाबी के हित में था।
सिद्धू ने कहा, ”मैंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है।” साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया कि जिस दिन पंजाब को नया अटॉर्नी जनरल मिलेगा, वह कार्यभार संभाल लेंगे। उन्होंने इससे पहले राज्य के अटॉर्नी जनरल के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता एपीएस देओल की नियुक्ति पर आपत्ति जताई थी। देओल ने पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी का प्रतिनिधित्व किया था, जिन्होंने 6 साल पहले तब राज्य पुलिस का नेतृत्व किया था, जब बेअदबी की घटनाएं हुई थीं और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी हुई थी। सिद्धू ने इस बात पर जोर दिया कि बरगाड़ी बेअदबी और मादक पदार्थ के मुद्दों को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाने के लिए अटॉर्नी जनरल और डीजीपी के पद महत्वपूर्ण हैं।
चन्नी संग मतभेद से इनकार
सिद्धू ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी संग मतभेद से इनकार करते हुए कहा कहा, ”कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है। मैं उनसे राज्य के लिए बात करता हूं। मैं उनसे राज्य की भलाई की बात करता हूं। मेरा चरणजीत चन्नी से कोई मतभेद नहीं है, बिल्कुल भी नहीं। मैं जो कुछ करता हूं वह पंजाब के लिए है। मैं पंजाब के लिए खड़ा हूं। पंजाब मेरी आत्मा है। यही लक्ष्य है।” सिद्धू ने कहा, ”मैं लंबे समय से उनसे (मुख्यमंत्री) मिलता रहा हूं। मैं पिछले एक महीने से उनसे बात करता रहा हूं। पहली बैठक पंजाब भवन में हुई थी, उस समय बात थी कि एक पैनल का गठन (डीजीपी पर) होगा और चीजों को सुलझा लिया जाएगा। यह 90 दिन की सरकार है और 50 दिन बीत चुके हैं।”