बेरोजगार युवकों के आय का जरिया बन रही मशरूम की खेती
लखनऊ
आटेसुवा क्षेत्र में नव युवकों मे मशरूम खेती करने की ओर उनका रुझान तेजी से बढ़ रहा है। अजरायल पुरवा गांव में मशरूम की खेती करने में बेरोजगार नवयुवक ज्यादा रुचि ले रहे हैं।और अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं।अजरायल पुर गांव के अजय कुमार यादव 11 वर्ष से मशरूम की खेती कर रहे हैं और इस खेती से अच्छा खासा मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। इस किसान की देखा देखी अन्य नवयुवक भी इसकी खेती करने में किसी से पीछे नहीं है। अजय कुमार यादव ने बताया कि 25 फीट लंबा 20 फीट चौड़ा टाटार बनाया जाता है। 10 कुंटल भूसा की खाद से मशरूम की खेती करना शुरू किया था। जिसमें ?8000 की लागत आई थी। मशरूम की खेती में गेहूं का भूसा गेहूं का चोकर डीएपी व यूरिया खाद पो पोटाश गुड सीरा कैल्शियम कार्बोनेट ट्रिपसम नीम की खली तथा अन्य खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है।इसी क्रम में खाद तैयार होने मैं 28 से 30 दिन लग जाते हैं। इसके बाद मशरूम का बीज बोया जाता है। बीज बोने के 15 दिन बाद पानी का छिडक़ाव किया जाता है। 15 दिन के बाद हमें बटन मशरूम प्राप्त होता है। मशरूम की खेती में व्यय को निकालने के बाद ?15000 की आय होती है।अब देहात क्षेत्र में भी मशरूम की खेती होने लगी है। इस गांव के आधा दर्जन से अधिक युवा मशरूम की खेती करते हैं। और उनके परिवार का भरण पोषण मशरूम की आय से होता है।युवाओं ने बताया कि मशरूम गेंदा की खेती व केला की खेती तथा मुर्गी पालन व अन्य धंधा करके देश की बेरोजगारी दूर की जा सकती है। और देश के युवा स्वावलंबी बन सकते हैं।