याद किये गए शहीद अब्दुल रफीक खान

लखनऊ,

साप्ताहिक बाज़ार व्यापारी कल्याण समिति ने मंगलवार को शहीद स्मारक पर शहीद अब्दुल रफीक खान की याद में यौमे दुआ का आयोजन किया. कारी अबुल हसन ने कुरआन की तिलावत के बाद दुआ कराई. शहीद अब्दुल रफीक खान ने पटरी दुकानदारों के अधिकार दिलाने के लिए पूरी जि़न्दगी संघर्ष किया. पटरी दुकानदारों की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन में 10 मई 2005 को उन्होंने आत्मदाह कर लिया था. साप्ताहिक दुकानदार तभी से शहीद अब्दुल रफीक खान की याद में 10 मई को शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं इस दिन व्यापार पूरी तरह से बंद रहता है.
साप्ताहिक बाज़ार व्यापारी कल्याण समिति के पदाधिकारियों ने मंगलवार की शहीद स्मारक में शहीद अब्दुल रफीक खान की कुर्बानियों को याद किया. व्यापारियों के अधिकारों के लिए उन्होंने जिस तरह से संघर्ष किया वह लोगों के लिए एक मिसाल है. अब्दुल रफीक खान ने नगर निगम मुख्यालय के सामने बड़ी संख्या में व्यापारियों के सामने पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में खुद को आग लगा ली थी. अब्दुल रफीक खान की पहचान उनकी बड़ी से साइकिल थी. उन्हें आग में घिरा देखकर पुलिस और प्रशासन के हाथ-पाँव फूल गए थे. आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका.
शहीद स्मारक पर आयोजित यौमे दुआ में साप्ताहिक बाज़ार व्यापारी कल्याण समिति के अध्यक्ष वसी उल्ला आज़ाद ने कहा कि शहीद अब्दुल रफीक खान ने व्यापारियों के अधिकारों के लिए पूरी जि़न्दगी लड़ाई लड़ी है. इसी वजह से 10 मई को साप्ताहिक बाज़ार के व्यापारी अपनी दुकानें उनके सम्मान में बंद रखते हैं. इस मौके पर उन्होंने कहा कि अब्दुल रफीक खान ने हमें संघर्ष का जो रास्ता दिखाया है साप्ताहिक बाज़ार व्यापारी कल्याण समिति उन्हीं के दिखाए रास्ते पर चलते हुए साप्ताहिक बाज़ार के छोटे दुकानदारों के अधिकारों का खासतौर पर ध्यान रखती है.
यौमे दुआ में संगठन के महामंत्री अनिल सक्सेना, उपाध्यक्ष विनोद कुमार गुप्ता, मंत्री लक्ष्मण वर्मा, कोषाध्यक्ष मोहम्मद इस्माइल, घनश्याम यादव, मोहम्मद इरहान, नीरज, दीपू गुप्ता, हाजी कलीम, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, मोहम्मद शारिक बाबा, मोहम्मद शानू और अनिल कुमार यादव आदि मौजूद थे.

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