पछुवादून में जगह-जगह गणपति प्रतिमाओं का विसर्जन विसर्जन

विकासनगर। दस दिनों तक गणपति पूजन के बाद गुरुवार को अनंत चतुदर्शी के मौके पर पछुवादून में जगह-जगह गणपति प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु नाचते, गाते, अबीर, गुलाल उड़ाते हुए यमुना तट के साथ ही आसन नदी किनारे विसर्जन के लिए पहुंचे। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में श्रद्धालुओं ने तालाब, जोहड़ में गणपति की प्रतिमा विसर्जित की।  गोरखा बस्ती के बाशिंदों ने गुरुवार सुबह विधि विधान से गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना की। जिसके विसर्जन की तैयारियां शुरू हो गई थीं। शाम चार बजे बस्ती से गाजे-बाजे के साथ महिला और पुरुष भक्त गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ… नाचते गाते हुए गणपति प्रतिमा को लेकर निकले। सैयद रोड, डाकपत्थर तिराहे से होते हुए डाकपत्थर में यमुना तट पहुंचे। इस दौरान ढोल नगाड़ों से पूरा इलाका गुंजायमान रहा। यमुना तट पर सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन कर गणपति की आरती की गई। आरती के बाद भक्तों ने नम आंखों से प्रतिमा को मां यमुना के पवित्र जल में विसर्जित किया। शहर अलावा गांवों में स्थापित भगवान गणेश जी की प्रतिमाओं का विसर्जन स्थानीय तालाबों में किया गया। इस दौरान शोभायात्रा की शक्ल में भगवान की प्रतिमा को वाहन पर लेकर भक्तों ने पूरे इलाके का भ्रमण किया। भगवान की छोटी प्रतिमाओं को भक्त गोद में लेकर विसर्जन के लिए पहुंचे। इस दौरान डीजे और बैंडबाजे के धुन पर महिला, पुरुष नृत्य करते देखे गए। इससे माहौल भक्तिमय रहा। सेलाकुई के तेलपुर-अटकफार्म समेत पछुवादून के कई गांवों में स्थापित गणपति प्रतिमाओं का विसर्जन बड़े ही धूमधाम से किया गया। दोपहर में भक्त अबीर गुलाल उड़ाते हुए आसन नदी तट के लिए निकले। रास्ते भर झूमते नाचते हुए विसर्जन स्थल पर पहुंचकर विधि विधान से भगवान की प्रतिमा को जल में समर्पित किया। विकासनगर के गोरखा बाग से निकली यात्रा में कृष्णा देवी, अंशुल बिंजोला, बलवीर चंदेल, अमन गुसाईं, पूर्णिमा, शिवांक, प्रांचल, रूपकला, लीला, संजय वर्मा, माया वर्मा, रीता, अर्चना, अक्षय आदि शामिल रहे।

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