विवेकानन्द संस्थान द्वारा विकसित वी एल पोर्टेबल पॉलीहाउस के निर्माण हेतु समझौता
अल्मोड़ा
विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने मैसर्स पाराशर एग्रोटेक बायो प्रा. लिमिटेड वाराणसी यूपी के साथ ‘वी. एल. पोर्टेबल पॉलीहाउस’ के निर्माण हेतु 21 नवंबर को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। प्रचलित स्थायी पॉलीहाउस में अगर विशेष सावधानियां ना रखी जाए तो लगातार 4 से 5 वर्षों तक खेती करने के बाद मृदा स्वास्थ्य खराब होने एवं कीट-पतंगों व मृदा जनित बीमारियों में वृद्धि होती है जिससे उत्पादकता में कमी आती है एवं खेती की लागत बढ़ जाती है। ऐसी स्थितियों में या तो किसान को सतह की मिट्टी को बदलना पड़ता है या फिर स्थायी पॉलीहाउस को किसी नये खेत में ले जाना पड़ता है, जो बहुत महंगा और कठिन श्रम युक्त होता है। पर्वतीय इलाकों में इससे लागत भी बढ़ती है। इन समस्याओं के समाधान हेतु विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसन्धान अल्मोड़ा द्वारा अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना प्लास्टिक इंजीनियरिंग, कृषि संरचना और पर्यावरण नियन्त्रण के तहत छोटे आकार में कम लागत वाले “वी.एल. पोर्टेबल पॉलीहाउस का विकास किया गया है। पोर्टेबल पॉलीहाउस तीन टुकड़ों का बना है। इस पॉलीहाउस को आवश्कतानुसार आसानी से एक खेत से दूसरे खेत में स्थानांतरित किया जा सकता है। पॉलीहाउस का डिजाइन अर्धवृत्ताकार है और इसका निर्माण नट-बोल्ट व वैल्डिंग द्वारा किया गया है। इसमें प्राकृतिक वायु-संचार (वेन्टिलेशन) है एवं वर्षा जल व ओस को संग्रहण करने का प्रावधान है। इसका उपयोग बहुउद्देशीय है एवं आवश्यकतानुसार सब्जी उगाने, अत्यधिक सर्दी में मछली के तालाबों को ढकने इत्यादि में किया जा सकता है। फसल को खुले में बाहर एक निश्चित अवस्था (जब फसल को पॉलीहाउस की आवश्यकता नहीं होती) तक उगाया जा सकता है बाद में पोर्टेबल पॉलीहाउस को स्थानांतरित किया जा सकता है। इस प्रकार किसान पोर्टेबल पॉलीहाउस का प्रयोग रिले क्रॉपिंग की तरह करके प्रति इकाई समय उत्पादकता बढ़ा सकता है।