संस्कृत मास महोत्सव के उपलक्ष्य में राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया

नई टिहरी।

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी ने संस्कृत मास महोत्सव के उपलक्ष्य में राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने वेदों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए वेदों को अपने जीवन में उतारने पर जोर दिया। शनिवार को श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि श्रीरणवीर परिसर जम्मू के वेद विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज कुमार मिश्र ने कहा कि भारतीय संस्कृत एवं संस्कृति वेदों में निहित है। वेद सांसारिक सुखों के प्राप्ति के साधन ही नहीं, अपितु पारलौकिक सुख पाने के भी माध्यम हैं। हमें वेदों का पठन-पाठन एवं अनुसंधान कार्य निरंतर बढ़ाना चाहिए। वहीं मुख्य वक्ता श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग के वेद विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र प्रसाद उनियाल ने वैदिक समाज का चित्रण करते कहा कि वेद पाठ से शुचिता, संस्कार व परोपकार सहित मानव जीवन के सभी लक्ष्य बिना बाधा प्राप्त हो जाते हैं। सभी को वेद के उपदेश अपने जीवन व आचरण में उतारने चाहिए। सह वक्ता डॉ. सुनील प्रसाद पैन्यूली कहा कि वेदों से मानव जीवन का संपूर्ण सुख प्राप्त हो सकता है, यदि वेदों का हम सही दिशा में अनुपालन करें। संगोष्ठी संचालक ऋषिराम बहुगुणा व प्रांत संगठन मंत्री योगेश विद्यार्थी कार्यक्रम के अध्यक्ष रहे। राज्य संयोजक डॉ. हरीशचंद्र गुरुरानी ने वेदों को मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी बताया तथा केवल पूजा-पाठ ही नहीं अपितु वेदों में बहुत कुछ ढूंढने की आवश्यकता बताई। विशिष्ट अतिथि बाला दत्त शर्मा ने भारत में संस्कृत और संस्कृति की विशेष रूप से अध्ययन और अध्यापन की आवश्यकता बतलायी। संगोष्ठी में प्रदीप मलासी सह संयोजक सहित विश्वविद्यालयों के आचार्य तथा संस्कृत भारती के संस्कृत अनुरागी सम्मिलित हुए।

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