पुराने खंभे पोते, नए बता कर हो गया पांच करोड़ का खेल य है सिंहस्थ घोटाले की
भोपाल।
इंटीग्रेटेड पॉवर डेवलपमेंट स्कीम (आईपीडीएस) में हुए 50 करोड़ से ज्यादा के घोटाले को अंजाम देने वाले पूर्व प्रोजेक्ट डायरेक्टर संजय मोहासे पांच करोड़ की राशि के अतिरिक्त भुगतान के मामले में भी उलझते जा रहे हैं। पुराने बिजली के खंभों को रंगवाकर नए बताकर यह भुगतान किया गया था। काम को अंजाम दिया आईपीडीएस घोटाले को की जांच कर रहे अफसरों ने मोहासे से लिखित में स्पष्टीकरण तक नहीं लिया। आईपीडीएस घोटाले में नया मामला तब समझ आया जब शिकायतर्काओं ने बताया कि योजना के तहत इंदौर में जो पोल लगाने थे, उनमें भारी खेल हुआ। पुराने खंभों को पुतवाकर उन्हें नया बनवाया गया। दस्तावेजों में बता दिया गया कि नए खंभे लगाए एग हैं। इन खंभों की संख्या सैंकड़ों में है। इस कारनामे को क्षमा पॉवर ने अजंाम दिया। कंपनी को पांच करोड़ का अतिरिक्त भुगतान हुआ। मोहासे ने आईपीडीएस योजना के डायरेक्टर रहते हुए प्रोजेक्टर की तो किसी प्रकार की आईपीडीएस की प्रारंभिक ड्राइंग बनवाई। न यह बताया गया कि प्रोजेक्ट को कैसे अंजाम देना है। बस कंपनी को थोकबंद काम दे दिए गए। आईपीडीएस के नाम पर मैदान में क्या हो रहा है? यह मोहासे से छिपा नहीं था। जानबूझकर लीपापोती कराई गई ताकि उसका लाभ लिया जा सके। भाई और दामाद को दिलाया जा सके। आईपीडीएस घोटाले में पूर्व डायरेक्टर सुबर्ती रॉय, एसई कामेश श्रीवास्तव, एसई भूपेंद्र सिंह, दो डीई और आठ एई को नोटिस दिए गए थे लेकिन राजनीतिक (कैबिनेट मंत्री के नजदीकी) पकड़ के चलते मोहासे को नोटिस नहीं दिया गया। ट्रांसफर भी बीते दिनों हुआ, जब मामले ने तूल पकड़ा। मोहासे के खिलाफ सिंहस्थ घोटाले में भी जांच जारी है। वर्ष 2016 में उज्जैन सिंहस्थ में विद्युत विभाग के लिए 500 करोड़ की विद्युत सामग्री खरीदी थी। तब मोहासे ने अपनी स्थापना मुख्य अभियंता उज्जैन क्षेत्र में करवा ली थी। मटेरियल खरीदी में भ्रष्टाचार किया। सिंहस्थ के बाद पूरा मटेरियल भाई पंकज मोहासे की फर्म श्रीश्रीसांई और ठेकेदार अर्जुन क्षोत्रिय को बेच दिया। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी की शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज किया है। पूरी चौकड़ी मजे में है…. संजय मोहासे – यूं तो कॉरपोरेट ऑफिस की जिम्मेदारी दी गई है। मतलब लूपलाइन। मगर, यहां बैठकर अपने खिलाफ हो रही जांच को प्रभावित करना आसान होगा। क्योंकि वहां वही लोग काम कर रहे हैं जो मोहासे के मातहत रहे हैं। राजेंद्र नेगी – बिजली कंपनी के सबसे महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट वक्र्स में बतौर एडिशनल एसई पदस्थ हैं। दिनभर में चार बार नेगी और एमडी की बात होती है। कॉरपोरेट ऑफिस में रहकर वीसी में बैठता है। इसीलिए अफसर भी मेहरबान है। पवन जैन- तमाम आरोप और जांच के बावजूद आईपीडीएस में बतौर ईई नियुक्त हैं। इसके साथ ही 15 साल से कारपोरेट ऑफिस में ज्वाइंट सेक्रेटरी पद पर भी हैं। एमएलबी की है इसीलिए लॉ का ज्ञान देते हैं। वर्ष 2017 से आईपीडीएस में हैं। इन्हें पता है कहां-क्या हुआ। कामेश श्रीवास्तव – उन अफसरों में शामिल हैं जिन्हें आईपीडीएस घोटाले के तहत नोटिस दिया गया था। मोहासे के सबसे खास। लंबे समय तक सिटी में इंचार्ज रहे और आईपीडीसी में काम किया। अभी विजिलेंस की जिम्मेदारी। मतलब चोरी पकडऩे के नाम पर खेल जारी है। घोटाले की जांच