मांग बढऩे से तेल तिलहन कीमतों में सुधार

नई दिल्ली  ।

मांग बढऩे और मंडियों में तिलहनों की आवक घटने से देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में शनिवार को सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन दाना एवं लूज (तिलहन), बिनौला, मूंगफली तेल तिलहन के भाव सुधार के साथ बंद हुए जबकि दाम महंगा होने की वजह से मांग प्रभावित होने के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतें पूर्वस्तर पर बंद हुई। बाकी तेल-तिलहनों के भाव भी पूर्वस्तर पर बने रहे।
बाजार सूत्रों ने कहा कि देश में खुदरा कारोबारियों की सरसों की मांग बढऩे से इसके तेल तिलहनों के भाव में सुधार आया। वहीं विदेशी बाजारों में पाल्ट्री कंपनियों की सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की मांग बढऩे से सोयाबीन दाना एवं लूज के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए। उन्होंने कहा कि सोयाबीन का दाम नयी फसल आने के बाद आधे रह गये हैं और किसान कम भाव पर बेचने को राजी नहीं है इसलिए मंडियों में सोयाबीन की आवक कम हुई है।
उन्होंने कहा कि मूंगफली तेल कीमतों में सुधार से बिनोला के दाम में भी सुधार आया। दूसरी ओर, जाड़े में भारी तेल (पामतेल) की मांग कम होने के साथ इन तेलों के मुकाबले सूरजमुखी और सोयाबीन रिफाइंड के दाम सस्ता होने से सीपीओ और पामोलीन तेलों के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि तेल तिलहन कारोबार के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि सूरजमुखी तेल का भाव आयातित पामोलीन से सस्ता है। उन्होंने कहा कि सूरजमुखी का तेल आज से छह महीने पहले सरसों तेल से 40 रुपये प्रति किलो ज्यादा था और पामोलीन से 55-60 रुपये प्रति किलो महंगा था। सूरजमुखी के आयात पर लगने वाला शुल्क 46-47 रुपये प्रति किलो था, वह आयात शुल्क में कमी किये जाने के बाद घटकर सात रुपये प्रति किलो रह गया है। देश में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों में सूरजमुखी तेल की खपत वैसे ही होती है, जैसे उत्तर भारत में सरसों की। सरकार को यह देखना चाहिये कि सूरजमुखी के दाम कम होने के बावजूद उपभोक्ताओं को यह सस्ते में क्यों उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि गुजरात में मूंगफली की नई फसल आने के बाद पिछले लगभग दो महीने में मूंगफली तेल के दाम में 25-30 रुपये लीटर की कमी आई है लेकिन यहां भी इस गिरावट का फायदा उपभोक्ताओं को क्यों नहीं दिया जा रहा इसकी सरकार को जांच करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि मूंगफली तेल का अधिकतम खुदरा भाव 150-155 रुपये लीटर होना चाहिये, पर खबरें हैं कि उपभोक्ताओं को यह काफी महंगे दाम पर बेचे जा रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि सामान्य दिनों में खाद्य तेलों में सरसों का योगदान लगभग 11 प्रतिशत होता है, जो फिलहाल घटकर 5-6 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने कहा कि मार्च में सरसों की नयी फसल आने के बाद ही सरसों के दाम से राहत मिल सकती है और उम्मीद है कि पैदावार पर्याप्त बढऩे के कारण यह सोयाबीन से 10 रुपये किलो नीचे बिके।
उन्होंने कहा कि सलोनी शम्साबाद ने शनिवार को सरसों का भाव 9,100 रुपये से बढ़ाकर 9,200 रुपये क्विन्टल कर दिया जबकि जयपुर में सरसों का भाव अधिभार समेत 8,770-8,795 रुपये क्विन्टल कर दिया गया है। देश भर की प्रमुख मंडियों में सरसों की आवक 1,55,000 बोरी से घटकर 1,30 लाख बोरी रह गई। इसी वजह से सरसों तेल तिलहन कीमतों में सुधार है। सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश की तरह ही सरकार को बिहार, उत्तराखंड जैसे सीमावर्ती राज्यों में भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से खाद्य तेल उपलब्ध कराने पर विचार करना चाहिये।
बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे।
सरसों तिलहन – 8,770 – 8,785  (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।
मूंगफली – 6,000 –  6,085 रुपये।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,500 रुपये।
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,980 – 2,105 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 17,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,670 -2,705 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,760 – 2,870 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 16,700 – 18,200 रुपये।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,350 रुपये।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,000 रुपये।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,750
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,100 रुपये।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,920 रुपये।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली-  12,750 रुपये।
पामोलिन एक्स- कांडला- 11,680  (बिना जीएसटी के)।
सोयाबीन दाना 5,700 – 5,800, सोयाबीन लूज 5,525 – 5,575 रुपये।
मक्का खल (सरिस्का) 3,825 रुपये।

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