(भोपाल) मध्यप्रदेश में कांग्रेस का विकल्प बनने की कोशिश में आप?

भोपाल,

पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत से मध्यप्रदेश में भी उम्मीदें बढ़ गई हैं। अब आप देश के दो बड़े राज्य में सत्तासीन हो गई है। दिल्ली के बाद पंजाब में कब्जे से पार्टी कांग्रेस के विकल्प के रूप में खड़ा होने के पयास में सक्रिय हो गई है। देश में जिस प्रकार कांग्रेस टूट रही है, उससे आप के लिए विकल्प बनने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। पार्टी का दायरा बढ़ाने पर मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों के असंतुष्ट नेता आगे के चुनावों के लिए इसकी राह पकडऩे की उम्मीद कर सकते हैं। पंजाब में आम आदमी पार्टी 40 सीटों पर ऐसे नेताओं को टिकट दिया था, जो दूसरी पार्टी से असंतुष्ट होकर आए थे। मध्यप्रदेश में भी चुनाव के समय भाजपा और कांग्रेस पार्टी के असंतुष्टों को टिकट देने की सियासत करती आई है। इसी फॉर्मूले को अरविंद केजरीवाल मध्यप्रदेश में अपनाकर बड़ा दांव चल सकते हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में असंतुष्ट नेताओं की कमी नहीं है। इसमें ऐसे नेता जो अपनी पार्टी में बिल्कुल हाशिये पर भेज दिए गए हैं या फिर जो अपनी पाटी में अलग-थलग महसूस कर रहे हैं, वो आप का हाथ थाम सकते हैं। आप के प्रदेश अध्यक्ष पंकज सिंह कहते हैं, वर्श 2023 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की सभी 230 सीटों पर हम चुनाव लड़ेंगे। निकाय चुनाव के लिए भी हमारी तैयारी है। हमें पूरा भरोसा है कि आम आदमी पार्टी प्रदेश में सफल होगी। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए कुछ नेता ऐसे हैं, जो अब तक भाजपा की रीति-नीति में खुद को नहीं ढाल पाए हैं। यह नेता भाजपा में असहम महसूस करते हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो सिंधिया समर्थक होते हुए भी भाजपा में नहीं गए और अब वे पार्टी में हाशिए पर हैं। ऐसे में इनके लिए भी आम आदमी पार्टी एक बेहतर विकल्प बन सकती है। अन्ना आंदोलन के समय आम आदमी पार्टी से प्रदेश की जनता ने भी ढेरों उम्मीदें लगाई थी, लेकिन विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में पार्टी अध्यक्ष परफॉर्म नहीं कर पाई। इसकी मुख्य वजह पार्टी में कई धड़े हो जाना रहा। राजनीति में नई होने के कारण भी आप के नेता अनुभवी पार्टियों का सामना नहीं कर सके। बाद में पार्टी बिखरती चली गई। जो लोग पार्टी से शुरुआत में जुड़े थे, उनमें से अधिकतर अब पार्टी से बाहर जा चुके हैं। तत्कालीन सचिव अक्षय हुका काफी पहले ही पार्टी से अलग हो गए थे। बाकी नेता भी धीरे-धेरे अलग हो गए। आम आदमील पार्टी ने मध्यप्रदेश में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई थी उस दौरान करीब 200 विधानसभा सीटों पर आप ने चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव में पार्टी को कोई खास महत्व नहीं मिला। मात्र 0.7 प्रतिशत वोट से ही पार्टी को संतोष करना पड़ा, लेकिन अब पार्टी पूरी दमखम के साथ तैयार है। पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी कृष्णपाल सिंह कहते हैं कि निकाय चुनाव के लिए पार्टी ने कमर कसी है। वर्ष 2023 कस विधानसभा चुनाव भी पार्टी लड़ेगी। मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी पूरी रणनीति के साथ काम कर रही है। संभाग और जिला स्तर पर संगठन खड़ा किया है। प्रदेश की 122 विधानसभा और यहां के ब्लॉक स्तर पर टीम तैयार कर ली गई है। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में पार्टी ने मध्यप्रदेश में पहली बार एंट्री की थी। यहां की चुनिंदा लोकसभा सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवार खड़े किए थे। आप के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने खण्डवा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, हालांकि इस चुनाव में पार्टी को अधिक सफलता नहीं मिल सकी थी।

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