आज हमारे आंगन की गौरेया सुरक्षित नहीं

हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विवि के कंप्यूटर विज्ञान विभाग में पर्यावरण जागरुकता के अंतर्गत कहां गई मेरे आंगन की गौरेया विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता संस्कृत विवि के सहायक आचार्य डॉ. विनय सेठी ने गौरैया की घटती संख्या एवं संरक्षण पर पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से छात्रों के समक्ष अपने विचार रखे। बताया कि जब आज हमारे आंगन की गौरेया सुरक्षित नहीं है तो हमारी सुरक्षा स्वयं ही प्रश्नचिह्नित हो जाती है। डॉ. सेठी ने बताया कि विकास के क्रम में भवन एवं ईमारतों की संरचना में हो रहे परिवर्तन के चलते गौरैया को घोंसले बनाने के लिए सुरक्षित स्थान उपलब्ध नहीं हो पा रहे है। डॉ. सेठी ने गौरेया की प्रजनन आवश्यकता के अनुरूप विशेष रूप से तैयार किए लकड़ी के घोंसलों को भी प्रदर्शित किया तथा सभी छात्रों को इसको अपने घरों में लगाने हेतु प्रोत्साहित किया। उपस्थित छात्रों ने तन्मयता से इस व्याख्यान को सुना। विभागाध्यक्ष प्रो. कर्मजीत भाटिया कहा कि गौरेया पक्षी आमतौर पर एक सर्वव्यापी पक्षी है, जो दुनिया भर में विभिन्न स्थानों पर पाई जाती है। लेकिन बहुत दुख की बात है कि आज जीव की यह खूबसूरत प्रजाति विलुप्त सी हो चुकी है। उन्होंने डॉ. विनय सेठी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि डॉ. सेठी ने गौरेया पक्षी की विलुप्त होती प्रजातियां पर सभी को जानकारी दी। संयोजन करते हुए डॉ. महेंद्र सिंह असवाल ने कहा कि गौरेया पक्षी दिखने में सुंदर, छोटी सी और आकर्षक होती है। हमें इसकी सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि पक्षियों के बगैर संपूर्ण प्रकृति अधूरी नजर आती है। ऐसे में अगर आपके आसपास कोई भी पक्षी नजर आए, तो उन्हें प्यार और अपनापन दे। क्योंकि वे भी प्रकृति का एक अभिन्न अंग है और उनके माध्यम से प्रकृति को संतुलित रखने का कार्य भी किया जाता है। इस अवसर पर डीन प्रो. विवेक कुमार, विभागीय शिक्षक डॉ. राजकुमार, डॉ. श्वेताकं, डॉ. कृष्ण कुमार, मनीष अग्रवाल, संजय कुमार, गोपाल राणा आदि मौजूद थे।

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