करोड़ों रुपए का बजट खर्च फिर भी बेमौत मर रहे गोवंश
लखनऊ
मोहनलालगंज रेलवे स्टेशन के पास तेज गति से आ रही ट्रेन की चपेट में आकर कई बेसहारा पशुओं की दर्दनाक मौत हो गई मृत गोवंश के छोटे छोटे टुकड़े व शव क्षत-विक्षत रेलवे लाइन के बीचो बीच कई घंटे बिखरे हुए पड़े हुए थे ना तो पशु चिकित्सक और ना ही प्रशासन का कोई अधिकारी मौके पर पहुंचा जबकि इस जगह से चंद कदमों की दूरी पर तहसील प्रशासन और ब्लॉक के जिम्मेदार अफसर विराजमान हैं। एक सरकारी अस्थाई गौशाला भी मौजूद है । लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते इन पशुओं को बाड़े में ना रख कर बाहर ही छोड़ दिया जाता हैं ।जो हाईवे व रेलवे लाइन के इर्द गिर्द भटकते रहते हैं/
प्रतिदिन निकलते हैं पशुओं के बड़े-बड़े झुंड ;ग्रामीण
स्थानीय निवासियों ने बताया कि दर्जनों बेसहारा पशुओं को रेलवे लाइन व हाइवे के आसपास घूमते हुए देखा जा सकता है ।कुछ किसान भी अपनी फसल बचाने के चक्कर में बेजुबानो को कस्बे की ओर छोड़ जाते हैं जो भटकते हुए रेलवे लाइन के तरफ पहुंच जाते हैं और बेमौत मारे जाते हैं।
करोड़ों रुपए खर्च फिर भी गोवंश भटक रहे हैं
प्रदेश की योगी सरकार गोवंश के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का भारी-भरकम बजट खर्च करती है ताकि व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त बनी रहे
आवारा पशुओं के लिए सरकार की तरफ से प्रत्येक ग्राम पंचायत में पशु आश्रय केंद्र खोला गया लेकिन बावजूद इसके व्यवस्थाएं जस की तस है आवारा पशु आज भी भटक रहे हैं और ऐसे ही हादसे का शिकार होकर मौत के मुंह में समाते जा रहे हैं।
ब्लॉक अधिकारियों से लगाकर ग्राम प्रधान तक गैर जिम्मेदार रवैया अपना रहे हैं सरकार की तरफ से सभी व्यवस्थाएं होने के बावजूद भी सिस्टम फेल होता नजर आ रहा है कहीं पशुओं के लिए चारा पानी नहीं तो कहीं रहने के लिए उचित व्यवस्था नहीं ऐसे ही हालात राजधानी के लगभग सभी पशु आश्रय केंद्रों के हैं ।अगर प्रशासन स्थलीय निरीक्षण करें तो व्यवस्थाओं की पोल खुल जाएगी।
प्रतिदिन निकलते हैं पशुओं के बड़े-बड़े झुंड ;ग्रामीण
स्थानीय निवासियों ने बताया कि दर्जनों बेसहारा पशुओं को रेलवे लाइन व हाइवे के आसपास घूमते हुए देखा जा सकता है ।कुछ किसान भी अपनी फसल बचाने के चक्कर में बेजुबानो को कस्बे की ओर छोड़ जाते हैं जो भटकते हुए रेलवे लाइन के तरफ पहुंच जाते हैं और बेमौत मारे जाते हैं।
करोड़ों रुपए खर्च फिर भी गोवंश भटक रहे हैं
प्रदेश की योगी सरकार गोवंश के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का भारी-भरकम बजट खर्च करती है ताकि व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त बनी रहे
आवारा पशुओं के लिए सरकार की तरफ से प्रत्येक ग्राम पंचायत में पशु आश्रय केंद्र खोला गया लेकिन बावजूद इसके व्यवस्थाएं जस की तस है आवारा पशु आज भी भटक रहे हैं और ऐसे ही हादसे का शिकार होकर मौत के मुंह में समाते जा रहे हैं।
ब्लॉक अधिकारियों से लगाकर ग्राम प्रधान तक गैर जिम्मेदार रवैया अपना रहे हैं सरकार की तरफ से सभी व्यवस्थाएं होने के बावजूद भी सिस्टम फेल होता नजर आ रहा है कहीं पशुओं के लिए चारा पानी नहीं तो कहीं रहने के लिए उचित व्यवस्था नहीं ऐसे ही हालात राजधानी के लगभग सभी पशु आश्रय केंद्रों के हैं ।अगर प्रशासन स्थलीय निरीक्षण करें तो व्यवस्थाओं की पोल खुल जाएगी।