फ्रैंकलिन पर बढ़ी जांच की आंच

पिछले साल अप्रैल में छह योजनाएं बंद करने वाली फ्रैंकलिन टेंपलटन म्युचुअल फंड भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के जांच दायरे में आ गई है। सूत्रों ने कहा कि बाजार नियामक ने फंड हाउस और योजनाएं बंद करने से कुछ दिन या हफ्ते पहले अपना निवेश निकालने वाले इसके प्रमुख अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस और समन जारी किया है। इस बीच ईडी ने फंड हाउस और आठ अन्य के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया है। सूत्रों ने कहा, फंड हाउस के खातों की जांच में कंपनी से जुड़े कई लोगों द्वारा अपना निवेश भुनाए जाने (करीब 50 करोड़ रुपये) का पता चलने के बाद सेबी ने धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार नियमन के कथित उल्लंघन को लेकर न्यायिक कार्रवाई शुरू की है। अगले कुछ हफ्तों में इसके कुछ अधिकारी सेबी के समक्ष पेश होंगे। इस बारे में जानकारी के लिए सेबी को ईमेल भेजा गया लेकिन कोई जवाब नहीं आया। फ्रैंकलिन टेंपलटन के प्रवक्ता ने कहा, बंद होने वाली योजनाओं में फ्रैंकलिन टेंपलटन के कर्मचारियों और प्रबंधन का अभी भी काफी निवेश है। यूनिट धारकों द्वारा निवेश भुनाए जाने के लिए 23 अप्रैल, 2020 तक जमा कराए गए सभी आवेदनों को सामान्य प्रक्रिया के तहत निपटाया गया था। योजनाओं को बंद करने के सैद्घांतिक निर्णय लिए जाने के बाद किसी भी विशेष व्यक्ति के यूनिट को नहीं भुनाया गया था। हमने सेबी के कारण बताओ नोटिस पर विस्तार से जवाब भेजा है। इस बीच ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, श्कई ऐसे मामले देखे गए हैं जहां संवदेनशील जानकारी रखने वाले प्रबंधन स्तर के अधिकारियों ने अपना निवेश भुनाया है। हम इससे जुड़ी और जानकारी जुटा रहे हैं ताकि पैसे के हेरफेर का पता लगाया जा सके। ईडी की जांच रिपोर्ट में शीर्ष प्रबंधन के कुछ अधिकारियों के नाम हैं। इनमें फ्रैंकलिन के अध्यक्ष संजय सप्रे, मुख्य कार्याधिकारी जयराम अय्यर और एपीएसी वितरण के प्रमुख विवेक कुड़वा के नाम शामिल हैं। धनशोधन निषेध अधिनियम के प्रावधानों के तहत नामजद अधिकारियों में राधाकृष्णन वेंकट, प्रदीप पन्नालाल शाह, तब्बसुम अब्दुल्ला और संतोष दास कामत शामिल हैं। फंड हाउस ने जिन छह योजनाओं को बंद किया था उसमें करीब तीन लाख निवेशकों के करीब 25,000 करोड़ रुपये लगे थे।

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