जय प्रकाश नारायण लोक आंदोलन के अगुवा थे:डा०भवानीदीन     

हमीरपुर।
कस्बा  सुमेरपुर मे, वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत संपूर्ण क्रांति आन्दोलन के सूत्रधार जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि  पर  श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये संस्था के अध्यक्ष डा भवानीदीन ने कहा कि जयप्रकाश नारायण सही अर्थों मे लोकनीति के नेही थे,वे एक सच्चे देशभक्त थे,वे समाजवादी अवधारणा से आच्छादित थे,वे समष्टिवादी थे, व्यक्तिवादी नहीं,वे लोक आन्दोलन के अगुवा रहे।      उन्होंने जीवन शैली पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जयप्रकाश नारायण 1922- 1929 तक अमरीका मे रहे, जहाँ पर बर्कले कैलीफोर्निया से समाजशास्त्र से एम ए किया, आर्थिक हालात अच्छे न होने के कारण अमरीका मे खेतों मे काम किया, रेस्तरां मे काम किया, बूट पालिश की,‌जयप्रकाश नारायण प्रारंभ से देशधर्मी रहे, गांधी आन्दोलन से जुडे रहे, कई बार जेल गये। कान्ग्रेस से भिन्नता होने के कारण1950-51 मे लोहिया के साथ मिलकर सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया। लोकसेवा से जुडे होने कारण 1965 मे ये मैगसेसे पुरस्कार से अलंकृत हुये।1970 के बाद से जे पी इन्दिरा गांधी को हटाने मे जुटे।उन्होंने 1974 मे बिहार मे वृहद छात्र आन्दोलन का नेतृत्व किया, जो उनकी संपूर्ण क्रांति के नाम से विख्यात हुया, संपूर्ण क्रांति मे सात क्रान्तियाँ समाहित थी,इन्दिरा गांधी ने 1975 मे देश मे आपात काल लगा दिया, जिसके अन्तर्गत जे पी सहित 600 प्रमुख नेताओं को जेल मे ठूंस दिया गया, जे पी के प्रयासों से जनता पार्टी बनी,उन्होंने विपक्ष को एकजुट कर 1977 मे दिनकर के नारे – सिहासन खाली करो कि जनता आती है,का उदघोष कर जनता पार्टी की सरकार बनवाई। मरणोपरांत 1999 जे पी को भारत रत्न दिया गया। कालांतर मे बीमारी के कारण इनका 08 अक्टूबर 1979 मे निधन हो गया।जे पी के योगदान को देश कभी भूल नहीं सकता.कार्यक्रम मे अवधेश कुमार एडवोकेट, अशोक अवस्थी, राजकुमार सोनी सर्राफ, रमेशचंद्र गुप्ता और सोनू यादव शामिल रहे।

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