राज्यस्तरीय संस्कृत शास्त्रीय प्रतियोगिता का समापन
नई टिहरी। केंद्रीय संस्कृत विवि श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग में आयोजित राज्यस्तरीय संस्कृत शास्त्रीय प्रतियोगिता का समापन हो गया। वक्ताओं ने कहा कि संस्कृत साहित्य ने इतिहास के साथ-साथ विज्ञान भी दिया है। उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार पर जोर देने को कहा। प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को पुरस्कार के तौर नगद राशि प्रदान की गई। देवप्रयाग के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में आयोजित राज्यस्तरीय संस्कृत शास्त्रीय कार्यक्रम के समापन पर मुख्य अतिथि उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ. वाजश्रवा आर्य ने कहा कि संस्कृत साहित्य में विज्ञान भी निहित है, जबकि अन्य साहित्यों में केवल कथाएं और इतिहास ही है। आयुर्वेद को हम तक संस्कृत ने ही पहुंचाया है। कहा संस्कृत यद्यपि कम्प्यूटर की बेहतरीन भाषा है, परंतु इस क्षेत्र में अपेक्षित कार्य होना बाकी है। कहा कि श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर उत्तराखंड में संस्कृत शिक्षा का नेतृत्व करने में अहम भूमिका निभाएगा। छात्रों के लिए यह परिसर नालंदा और तक्षशिला सिद्ध होगा। वेद विभागाध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र प्रसाद उनियाल ने कहा कि वैदिक ज्ञान के कारण ही भारत विश्वगुरु बना है। परिसर निदेशक प्रो.विजयपाल शास्त्री ने कहा कि इस परिसर में संस्कृतमय वातावरण बनाने को वह कृत संकल्प है। राज्य स्तरीय अष्टाध्यायी, गीतापाठ आदि प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने वाले छात्रों को परिसर की ओर से 11-11 सौ रुपये की राशि पुरस्कार के तौर पर प्रदान की गई। प्रतियोगिता में 70 विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। मौके पर डॉ. दिनेश चन्द्र पाण्डेय, डॉ. कृपाशंकर शर्मा, डॉ. श्रीओम शर्मा, डॉ. अरविंद सिंह गौर, डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल, पंकज कोटियाल, निशांत कुमार, भानुप्रताप आर्य, ऋतेश पांडे, सक्षम आर्य, राजाराम डंगवाल, आयुष उनियाल, शुभम भट्ट, जीवन चंद्र जोशी आदि मौजूद थे।