सरकारी समझकर किसान की जमीन पर अवैध कॉलोनी काट दी सरपंच पति ने
इंदौर,
एक तरफ शिवराज सरकार किसान कल्याण के लिए प्रयासरत है तो दूसरी तरपु मोरोद नेहरु में सरपंच पति ने एक किसान को जमीन पर कब्जा करके उस पर अवैध कॉलोनी काट दी। अब जमीन मालिक ने सरपंच पति से कहा कि यह जमीर मेरी है तो सरपंच पति ने उसे झिडक़ते हुए कहा कि जमीन सरकारी है, मेरी जो मर्जी आए मैं करूं। तू तेरे फर्जी कागज लेकर निकल यहां से। मामले में जमीन मालिक एक महीने से तहसीलदार और एसडीएम के चक्कर काट रहा है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामला अवैध कॉलोनियों की श्रृंखला के कारण बदनाम हो चुके खंडवा रोड स्थित गांव मोरोद नेहरु का है। यहां सर्वे क्रमांक 371/1/4 की जमीन पर कुछ लोगों द्वारा अवैध कॉलोनी काटकर लोगों को प्लॉट बेचे जा रहे हैं। दूसरी तरफ ओमप्रकाश पिता मांगीलाल चौहान इस जमीन को अपनी पुश्तैनी मिल्कियत बता रहे हैं। राजस्व रिकार्ड में भी चौहान के दावे की पुष्टि कर रहा है। 2001 में यह जमीन मोरोद निवासी केशरसिंह पिता मोतीराम ने रमेश कुमार पिता रामगोपाल राठौर और मांगीलाल पिता धन्नालाल चौहान ने खरीदी थी। जिसकी रजिस्ट्री मार्च 2001 में हुई थी। 2011 में मांगीलाल चौहान की मृत्यु हुई और अगस्त 2011 में मृत्यु नाम सवीकृत करते हुए उनके वारिसों (पत्नी पानीबाई, बेटे चेतन-ओमप्रकाश और राठौर के बेटे रमेशकुमार) के नाम चढ़ा दी गई। चौहान ने आखिरी आवेदन 18 अप्रैल को एसडीएम बिचौली हप्सी को दिया। बताया कि सरपंच पति विजय बिलौथ्रया द्वारा मेरी जमीन कब्जाते हुए उस पर अवैध कॉलोनी काट दी है। प्लाट बिक रहे थे, तभी से विरोध कर रहा हूं। अब कॉलोनी में मकान बनने लगे हैं। कोई कार्रवाई नहीं हुई। कल जब मकान बनने के बाद लोग यहां रह रहे होंगे तब हमें न्याय मिल जाएगा, इसकी संभावना भी खत्म हो जाएगी। न्याय मिलेगा तो उन लोगों के साथ भी अन्याय होगा, जिन्होंने प्लॉट खरीदे हैं। इसीलिए प्रशासन वक्त रहते कार्रवाई करे और जमीन दिलाए। चौहान ने बताया कि मैंने शिकायत करने के पहले बिलौनिया से बात की। जब उन्हें जमीन की मालिकी से संबंधित दस्तावेज दिखाए तो उन्होंने कहा कि तुम्हारे कागज तुम अपने पास रखो। यह जमीन सरकारी है और जो कॉलोनी है उसी जमीन पर कट रही है। अच्छे-अच्छों ने शिकायत करके देख ली, कोई कुछ नहीं कर पाया। कॉलोनी विस्तार जारी है। इस बारे में नायब तहसीलदार शैफाली अग्रवाल का कहना है कि शिकायत मिली है मैंने शिकायतकर्ता को संबंधित दस्तावेज लेकर बुलाया था लेकिन वे आए नहीं हैँ। एक बार उनके दस्तावेज देख लें, फिर कब्जेदारों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।