रिपोर्ट में खुलासा प्रदेश में 94 प्रतिशत बड़े बांधों की आपात कालीन कार्ययोजना ही नहीं बनाई
भोपाल,
आपात स्थिति में मध्य प्रदेश के बड़े बांध कितने सुरक्षित हैं, कहना मुश्किल है। दरअसल, निर्देशों के 30 साल बाद भी प्रदेश के 94 प्रतिशत बांधों की आपात कालीन कार्ययोजना ही नहीं बनाई गई है। बांध सुरक्षा संचालक ने मुख्य अभियंता को फरवरी 2012 में यह कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए थे। जल संसाधन विभाग की इस उदासीनता का पता नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की अंकेक्षण (आडिट) रिपोर्ट से चलता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश के 453 बड़े बांधों से महज 25 बांधों की आपात कालीन कार्ययोजना बनाई गई है। सरकार ने अपने उत्तर में बताया कि राज्य बांध सुरक्षा संगठन (एसडीएसओ) के निर्देशों के तहत सितम्बर 2020 में 25 बांधों की आपात कालीन कार्ययोजना बनाई गई है, पर कैग ने इस उत्तर को स्वीकार नहीं किया हे। कारणों से सरकार का उल्लेख तक नहीं : कैग ने रिपेार्ट में कहा गया है कि दस साल बाद भी आपात कालीन कार्ययोजना तैयार नहीं करने के कारण का सरकार ने उल्लेख तक नहीं किया है। ज्ञात हो कि सीडब्ल्यूसी के निर्देश और एनसीडीएस की जुलाई 1990 में आयोजित छठी बैठक में बांध सुरक्षा संगठन को सामान्य स्थिति और अत्याधिक बाढ़ की स्थिति के लिए मानक प्रस्तावित बाढ़ (एसपीएफ) या संभावित अधिकतम बाढ़ (पीएमएफ) के साथ बांध टूटने की स्थिति के लिए आपात कालीन कार्ययोजना तैयार करने को कहा गया था। जल संसाधन विभगा के तहत प्रदेश में दिसम्बर 2019 तक 4523 (906 बड़े एवं 3617 छोटे) बांध थे। एसडीएसओ ने वर्ष 2016-17 से 2018-19 में 510 बांधों का निरीक्षण किया गया था। इनमें से श्रेणी दो के 72 और श्रेणी एक के एक बांध की तत्काल मरम्मत की जरूरत बताई थी। श्रेणी दो के तहत चयनित 16 संभागों में स्थित 28 बांधों में मुख्य भाग से पानी के रिसाव, सीपेज नालियां चौक होने जैसी बड़ी कमियां सामने आई थीं।