पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता: वीसी
श्रीनगर गढ़वाल। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर फोकपरफार्मिंग आर्ट्स एंड कल्चर, चौरास परिसर में विज्ञान भारती और यूसर्क के संयुक्त तत्वावधान में संजीवनी- स्वास्थ्य आउटरीच कार्यक्रम पर एक दिवसीय व्याख्यानमाला व रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि गढ़वाल विवि की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने भारतीय विज्ञान प्रणाली की उपयोगिता, श्रीअन्न के गुणों पर पर विस्तृत रूप से चर्चा की।प्रो. नौटियाल ने कहा कि मोटा अनाज की जो आज पूरे विश्व में बात हो रही है वह हमारी भूमि पर ही उत्पन्न होकर हमें स्वास्थ्यवर्धक, पौष्टिक आहर प्रदान करता था। लेकिन धीरे-धीरे हम अपनी पारम्परिक खेती को छोड़ सुपर फुड पर निर्भर हो गए हैं। जिसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर देखने को मिल रहा है और कई बीमारी हमारे शरीर में प्रवेश कर रही हैं। कहा कि हमें चाहिए की हम एक बार फिर अपनी पारंपरिक खेती को कर उसमें स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक आहर को उगाएं और अपने स्वास्थ्य को निरोगी रख सकें। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि विज्ञान भारती के राष्ट्रीय सचिव प्रवीण रामदास ने वर्तमान परिदृश्य में भारतीय ज्ञान प्रणाली की प्रासंगिकता व उपयोगिता के बारे में छात्रों का बताया। व्याख्यान श्रृंखला में डा. दीगर सिंह ने डेंगू, डा. रोहित महर ने कैंसर, डा. सुरेंद्र पुरी ने टयूबरक्युलोसिस और डा. रविंद्र कुमार ने वेस्ट टू वेल्थ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के ब्लड बैंक के प्रभारी डा. सतीश कुमार की देखरेख में रक्तदान शिविर में 45 छात्र-छात्राओं ने रक्तदान किया। प्रो. हेमवती नंदन पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत किया तथा मंच का संचालन संयोजिका डा. मनीषा निगम ने किया। कार्यक्रम में प्रति कुलपति प्रो. आरसी भट्ट, प्रो. डीआर पुरोहित, डा. डीके राणा, डा. राम साहू, डा. गौरव जोशी, डा. विवेक शर्मा, डा. भूपिंदर मित्तल, डा. आशीष बहुगुणा, डा. भास्करन, डा. शुभ्रा काला, डा. हिमशिखा, डा. सरला सकलानी, डा. जसपाल चौहान आदि मौजूद रहे।