खनिज निगम से वापस लेंगे 14 जिलों की रेत खदानें
भोपाल।
रायसेन, मंदसौर, धार सहित 14 जिलों की रेत खदानें एक बार फिर खनिज निगम से वापस लेकर कलेक्टरों को सौंपी जा रही हैं। इन जिलों की खदानों की नीलामी अब तहसील स्तर पर क्लस्टर बनाकर होगी। वर्ष 2019 की रेत नीति के मुताबिक ये खदानें अभी जिला स्तर पर क्लस्टर बनाकर नीलामी की जा रही थीं। इस नीति से कमलनाथ सरकार ने 48 जिलों की रेत खदानें नीलाम की थीं। इनमें से सात जिलों के ठेके अब तक निरस्त हो चुके हैं और चार जिलों के ठेकेदारों ने खदानें वापस कर दी हैं। शिवपुरी जिले की रेत खदानों का ठेका भी निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। खदानों की ऊंची बोली लगाने के कारण ठेकेदार इन खदानों को चला नहीं पा रहे हैं। वर्ष 2019 में की गई रेत खदानों की नीलामी से सरकार कोक 1400 करोड रु पये राजस्व मिलने की उम्मीद थी, पर ऐसा नहीं हुआ। सबसे पहले तो प्रदेश की सबसे बड़ी नर्मदापुरम (होशंगाबाद) खदान ठेकेदार ने छोड़ी, जिसे दोबारा नीलाम करना पड़ा। इसे बाद तो खदानें छोडऩे का सिलसिला शुरू हो गया। आठ जिलों के ठेकेदार खदानों से उतनी राशि भी नहीं निकाल पाए, जितनी मासिक किश्त जमा करना थी, ऐसे ठेकेदारों की खदानें निरस्त करना पड़ीं। इस स्थिति को देखते हुए रेत नीति की समीक्षा के लिए बनाई गई मंत्रियों की समिति ने खदानों का आवंटन छोटे स्तर पर करने की सलाह दी थी। समिति ने तय किया था कि खदानों के समूह (क्लस्टर) जिला स्तर पर न बनाकर तहसील स्तर पर बनाए जाएं। इसलिए जिन 14 जिलों में खदानें निरस्त-समर्पित की गई हैं, उनमें अब तहसील स्तर पर समूह बनाकर खदानें नीलाम की जाएंगी। इस निर्णय के बाद खनिज निगम संबंधित जिलों में ख्दानें कलेक्टरों को सौंपने की तैयारी कररहा है। बताया जा रहा है कि अब संबंधित जिलों में खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू होने से पहले खदानों में रेत के भंडार का पता लगाया जाएगा। इसके लिए जिला स्तर पर कलेक्टर सर्वे कराएंगे।